फुहार बरस रही रंगों की चहुँ दिश मस्तों की टोली ! फुहार बरस रही रंगों की चहुँ दिश मस्तों की टोली !
मैं मैं
मैं अभिशप्ता.... मैं अभिशप्ता....
"कहता है कि इंसान मैं" "कहता है कि इंसान मैं"
एक-दूजे के लिए आँखें बिछाना, एक और एक ग्यारह सदा रहना। एक-दूजे के लिए आँखें बिछाना, एक और एक ग्यारह सदा रहना।
मैं कड़वी नीम सी; तुम मधुर शहद। मैं कड़वी नीम सी; तुम मधुर शहद।